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पाकिस्तान में राष्ट्रपति जरदारी की बेटी को क्यों मिला फर्स्ट लेडी का दर्जा, जो पत्नी को मिलता है…

पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने आसिफ अली जरदारी बेटी असीफा भुट्टो को देश की फर्स्ट लेडी घोषित करना चाहते हैं।

ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के इतिहास में यह दूसरा मौका होगा, जब किसी राष्ट्रपति की पत्नी की बजाय उसकी बेटी को फर्स्ट लेडी का दर्जा मिलेगा।

असीफा की मां बेनजीर भुट्टो भी देश की पीएम थीं और उनकी एक रैली के दौरान 2007 में हत्या कर दी गई थी। 31 साल की असीफा भु्ट्टो पाकिस्तान में पोलियो को लेकर जागरूकता अभियान से जुड़ी रही हैं।

वह अपने भाई बिलावल भुट्टो जरदारी के लिए चुनाव में कैंपेन भी कर चुकी हैं, लेकिन पिता के साथ कम ही नजर आती हैं।

जरदारी और बिलावल भुट्टो के बहुत अच्छे रिश्ते नहीं हैं। कहा जा रहा है कि बिलावल भुट्टो खुद के लिए पीएम या फिर राष्ट्रपति का पद चाह रहे थे।

लेकिन जरदारी ने उन्हें कहा कि पहले उन्हें राजनीति को और अच्छे से समझना चाहिए। उन्हें सीधे पीएम या फिर राष्ट्रपति बनने का ख्याल नहीं करना चाहिए।

इसके अलावा यह भी एक बात कही जा रही है कि आसिफ अली जरदारी का बेटियों से ज्यादा लगाव है। वह चाहते हैं कि अगले कुछ सालों में असीफा को तैयार कर लिया जाए। वह असीफा को दूसरी बेनजीर की भूमिका में देखना चाहते हैं। 

सूत्रों के अनुसार मरियम नवाज शरीफ अब पंजाब की सीएम बन गई हैं। अब जब भी चुनाव होंगे तो वह नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की पार्टी का चेहरा होंगी।

ऐसे में जरदारी चाहते हैं कि मरियम के मुकाबले में असीफा को तैयार किया जाए। इसके अलावा आसिफ अली जरदारी को लगता है कि बेटी असीफा को आगे बढ़ाने से बेटे बिलावल पर भी कंट्रोल बना रहेगा।

असीफा से पहले पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने बेटी को फर्स्ट लेडी का दर्जा दिलाया था। इसकी वजह यह थी कि उनकी बेगम काफी उम्रदराज थीं और स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता था। ऐसे में किसी देश की यात्रा करने या फिर किसी मेहमान के आने पर उनकी उपस्थिति मुश्किल होती।

पाकिस्तान में फर्स्ट लेडी को खातून-ए-हव्वल कहा जाता है। आमतौर पर यह दर्जा राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की पत्नी को ही मिलता है, लेकिन पत्नी के न होने या फिर राष्ट्रपति की इच्छा पर परिवार की किसी और महिला को भी यह दर्जा मिल सकता है।

आसिफ अली जरदारी अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। वह चाहते हैं कि बिलावल को पार्टी के फंड पर भी पूरी छूट न मिले।

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