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भगवान राम ने प्रायश्चित के लिए रघुनाथ मंदिर में की थी तपस्या, 8वीं शताब्दी में शंकराचार्य ने की स्थापना…

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भगवान राम ने प्रायश्चित के लिए रघुनाथ मंदिर में की थी तपस्या, 8वीं शताब्दी में शंकराचार्य ने की स्थापना…

भगवान राम ने रावण वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए देवप्रयाग में तपस्या की थी।

उसी स्थान पर बाद में आदि गुरु शंकराचार्य ने रघुनाथ मंदिर की स्थापना कराई। देवप्रयाग के प्राचीन रघुनाथ मंदिर का उल्लेख न केवल केदारखंड में मिलता है।

बल्कि चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपने यात्रा वृतांत में इसका उल्लेख किया है।

मंदिर परिसर के शिलालेखों और गढ़वाल के प्राचीन पंवार शासकों के कई पुराने ताम्र पत्रों में भी मंदिर का उल्लेख है।

इतिहासकारों के अनुसार पंवार वंश के राजा कनकपाल के पुत्र के गुरु शंकर ने काष्ठ का प्रयोग कर मंदिर शिखर का निर्माण करवाया।

गुरु शंकर और आदि गुरु शंकराचार्य का काल आठवीं सदी का है। उस काल में मंदिर का शिखर परिवर्तित होने के कारण मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण शंकराचार्य ने कराया। 

केदारखंड में उल्लेख है कि त्रेता युग में ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए श्रीराम ने देवप्रयाग में तप किया और विश्वेश्वर शिवलिंगम की स्थापना की।

मंदिर परिक्रमा में चट्टान पर प्रथम सदी के ब्राहमीलिपि में खुदे 19 नाम और माहापाषण कालीन शिला वृत इसकी प्राचीनता को दिखाते हैं।

मंदिर का सिंहद्वार ढोका गोरखा शासन का निर्मित है। कैत्यूर शैली में बने रघुनाथ मंदिर में मंडप, महामंडल, गर्भगृह व शिखर पर आमलक बना है।

पौष के महीने होती है महापूजा: केदारखंड के अनुसार सतयुग में देवशर्मा मुनि के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता युग में राम बनकर देवप्रयाग आने का वर दिया था। पौष माह सूर्योदय से पहले यहां भगवान राम को समर्पित महापूजा होती है।

बदरीनाथ धाम तीर्थ पुरोहित समाज यहां के पुजारी हैं। संगम से रघुनाथ मंदिर तक आने वाली 101 सीढियों पर राम नाम जपते हुए पहुंचने का विधान है।

ग्रेनाइट पर है भगवान की प्रतिमा: रघुनाथ मंदिर के चारों ओर मंदिर परिसर में भगवान गणेश, आदि बदरी, मां अन्नपूर्णा, भगवती, चन्द्रेश्वेर महादेव, हनुमान, भैरव क्षेत्रपाल आदि के मंदिर हैं। केंद्रीय मंदिर में रघुनाथ की प्रतिमा है।

जो खड़ी मुद्रा में एक ग्रेनाइट प्रतिमा है। इसकी ऊंचाई करीब साढ़े छह फीट है। केंद्रीय मंदिर में एक देउला है जो गर्भगृह के ऊपर शंक्वाकार छत है।

रायपुर : उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के 38 वें स्थापना समारोह में शामिल हो रहे है…

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रायपुर : उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के 38 वें स्थापना समारोह में शामिल हो रहे है…

उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, राज्यपाल श्री  विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के 38 वें स्थापना समारोह में शामिल हो रहे है, स्टालों का किया निरीक्षण,इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री राम विचार नेताम भी उपस्थित रहे l

गणतंत्र दिवस पर तालिबानी दूत को भेजा गया निमंत्रण, हक्कानी नेटवर्क से है संबंध…

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गणतंत्र दिवस पर तालिबानी दूत को भेजा गया निमंत्रण, हक्कानी नेटवर्क से है संबंध…

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय दूतावास ने अबू धाबी में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए तालिबान के दूत बदरुद्दीन हक्कानी को आमंत्रित किया है।

जलालुद्दीन हक्कानी के बेटों में से एक बदरुद्दीन हक्कानी को अक्टूबर 2023 में राजदूत नियुक्त किया गया था।

उनके भाई सिराजुद्दीन हक्कानी अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्री हैं। तालिबान के प्रमुख नेताओं में से एक हक्कानी नेटवर्क 2008 में काबुल में भारतीय दूतावास सहित कई आतंकी हमलों में शामिल था।

संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय राजदूत संजय सुधीर के नाम से जारी निमंत्रण की एक प्रति अफगान पत्रकार बिलाल सरवरी ने ट्वीट की है। वह अब अफगानिस्तान से बाहर रहते हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है।

भारत सरकार उस समय से तालिबान के साथ उलझी हुई है जब से उसने एक तकनीकी टीम भेजी और काबुल में भारतीय दूतावास को फिर से खोला। सूत्रों ने कहा कि बदरुद्दीन हक्कानी को निमंत्रण उसी के अनुरूप है।

सूत्रों ने कहा कि निमंत्रण “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान” के दूत को संबोधित था। तालिबान खुद को “अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात” के रूप में दर्शाता है। “

इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान” का प्रतिनिधित्व तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी ने किया था।

इस मुद्दे पर सावधानी से आगे बढ़ते हुए भारत काबुल में तालिबान के साथ बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक तालिबान शासन को राजनयिक मान्यता नहीं दी है।

मुंबई और हैदराबाद में अफगानिस्तान के महावाणिज्य दूत ने पिछले साल नवंबर में घोषणा की थी कि वे नई दिल्ली में अफगान दूतावास को खुला रखेंगे।

साथ ही यह भी कहा है कि भारत स्थित अफगानी दूतावास पर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का झंडा फहराया जाएगा।

दूतावास तालिबान के इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान के बजाय पुराने नामकरण इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का उपयोग करना जारी रखेगा।

ऐसा समझा जाता है कि भारत ने अपने स्टैंड से नई नेतृत्व टीम को अवगत करा दिया है।

अफगान महावाणिज्यदूत ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को आश्वासन दिया है कि वे इन नियमों का पालन करेंगे। 

उद्धव ठाकरे को स्पीड पोस्ट से मिला राम मंदिर का निमंत्रण, संजय राउत बोले- राम श्राप देंगे…

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उद्धव ठाकरे को स्पीड पोस्ट से मिला राम मंदिर का निमंत्रण, संजय राउत बोले- राम श्राप देंगे…

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण शनिवार को स्पीड पोस्ट के माध्यम से मिला है।

इसको लेकर शिवसेना ने भाजपा पर हमला बोला है।

डाक से निमंत्रण भेजने पर संजय राउत ने कहा कि भगवान राम उन्हें इसके लिए श्राप देंगे। शिवसेना सांसद ने कहा, “आप मशहूर हस्तियों और फिल्मी सितारों को विशेष निमंत्रण दे रहे हैं। उनका राम जन्मभूमि से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन आप ठाकरे परिवार के साथ इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं? ठाकरे ने राम जन्मभूमि आंदोलन में एक प्रमुख और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भगवान राम आपको माफ नहीं करेंगे। इसके लिए श्राप देंगे। आप भगवान राम से प्रार्थना कर रहे हैं और रावण की तरह सरकार चला रहे हैं।” 

संजय राउत ने सामना के संपादकीय के जरिए भाजपा पर हमला बोला है। आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे ने पहले कहा था कि उन्हें राम मंदिर जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है।

वह पहले भी कई बार वहां जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अभिषेक समारोह पीएम मोदी की जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा किया जाए।

उन्होंने कहा, राम मंदिर मेरे पिता बालासाहेब ठाकरे का सपना था। यह खुशी का क्षण है कि मंदिर खोला जाएगा। हालांकि, उन्होंने इस बात की आलोचना की कि कैसे भाजपा ने इस आयोजन पर कब्जा कर लिया।

22 जनवरी को अपनी पार्टी की योजना की घोषणा करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “मैं राम भक्त हूं, देश भक्त हूं, अंध भक्त नहीं।

राम मंदिर का निर्माण मेरे पिता का सपना था।” 22 जनवरी को जब पीएम मोदी राम मंदिर का उद्घाटन कर रहे होंगे उसी समय उद्धव नासिक के कालाराम मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे।

कांग्रेस, सीपीएम, तृणमूल, समाजवादी पार्टी के नेता इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि मंदिर खुलने के बाद वह अपने पूरे परिवार के साथ राम मंदिर के दर्शन करेंगे।

आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह अपने परिवार के साथ उद्घाटन के बाद राम मंदिर जाएंगे।

आमंत्रितों की सूची में फिल्मी सितारों, खिलाड़ियों, पुजारियों, न्यायाधीशों, उद्योगपतियों और राजनेताओं सहित कम से कम 8,000 लोग शामिल हैं।

आमंत्रित लोगों में अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, चिरंजीवी, मोहनलाल, प्रभास, अल्लू अर्जुन, जूनियर एनटीआर, अक्षय कुमार, अनुपम खेर, अजय देवगन, हेमा मालिनी, सनी देओल, रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, कंगना रनौत और माधुरी दीक्षित शामिल हैं।

सरोद वादक अमजद अली खान, गीतकार और कवि मनोज मुंतशिर और उनकी पत्नी, गीतकार और लेखक प्रसून जोशी और निर्देशक संजय भंसाली को राज्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

मधुर भंडारकर, शंकर महादेवन, श्रेया घोषाल, अनुप जलोटा, सोनू निगम, अनुराधा पौडवाल, कैलाश खेर को भी आमंत्रित किया गया है।

रामानंद सागर की टीवी श्रृंखला “रामायण” में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल और शो में उनकी सह-कलाकार दीपिका चिखलिया, जिन्होंने सीता की भूमिका निभाई थी, को भी आमंत्रित किया गया है।

सचिन तेंदुलकर, शतरंज के ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद, स्प्रिंट क्वीन पीटी उषा और फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया प्रमुख खेल हस्तियों में से हैं।

उनके अलावा कपिल देव, महेंद्र सिंह धोनी, सुनील गावस्कर, विराट कोहली, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, वीरेंद्र सहवाग, रवींद्र जड़ेजा और रोहित शर्मा को आमंत्रित किया गया है।

रायपुर : राज्यपाल श्री हरिचंदन ने लोकसभा अध्यक्ष श्री बिड़ला को स्मृति चिन्ह भेंट किया…

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रायपुर : राज्यपाल श्री हरिचंदन ने लोकसभा अध्यक्ष श्री बिड़ला को स्मृति चिन्ह भेंट किया…

राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन ने आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के राजभवन आगमन पर उनका स्वागत किया और उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया।

इस अवसर पर उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, डॉ श्रीमती सुदेश धनखड़, श्रीमती सुप्रभा हरिचंदन, एवं श्रीमती कौशल्या साय उपस्थित रहीं।

ईरान ने पहले ही दिया था बता- करेंगे एयरस्ट्राइक, फिर हाय-तौबा क्यों मचा रहा पाक…

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ईरान ने पहले ही दिया था बता- करेंगे एयरस्ट्राइक, फिर हाय-तौबा क्यों मचा रहा पाक…

ईरानी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान ने 16 जनवरी को पाकिस्तान के सीमाई प्रांत बलूचिस्तान में हमला करने से पहले ही इसकी सूचना पाकिस्तानी सेना को दे दी थी।

फिर भी पाकिस्तान मिसाइल हमले पर हंगामा कर रहा है और जवाबी कार्रवाई में सिस्तान में नौ लोगों की जान ले चुका है।

एक ‘जानकार ईरानी स्रोत’ के अनुसार, “तेहरान ने इस्लामाबाद को हमले के बारे में बता दिया था लेकिन उसे यह नहीं बताया था कि वह इस सूचना को सार्वजनिक करे।”

बता दें कि ईरान ने 16 जनवरी की देर रात ईरान-पाकिस्तान के सीमाई इलाके में बलूचिस्तान प्रांत में स्थित सुन्नी आतंकी संगठन ‘जैश-अल-अदल’ के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया था।

पाकिस्तान ने इसे अपनी संप्रभुता के खिलाफ माना और बदले की कार्रवाई में गुरूवार को बलूचिस्तान-सिस्तान इलाके में ISIS आतंकियों और बलोच अलगाववादी संगठनों के ठिकानों पर एयरस्ट्राक कर दी, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई।

रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के करीबी माने जाने वाले एक टेलीग्राम चैनल ने 18 जनवरी को लिखा, “पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हमले के लिए पाकिस्तानी सरकार के साथ कॉर्डिनेशन की जरूरत थी, जो इस सप्ताह पूरा हुआ।”

इसमें कहा गया, “पाकिस्तान का आज का हमला भी उस समझौते के अनुरूप है जो आकार ले चुका है और सीमा पर आतंकवाद से निपटने तथा सीमा पर स्थायी सुरक्षा स्थापित करने की दिशा में दोनों देशों के दृढ़ संकल्प का परिणाम है।” 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ ईरानी पत्रकारों ने सुझाव दिया है कि अफगानिस्तान में ईरानी राष्ट्रपति के दूत हसन काज़ेमी-कोमी की पाकिस्तान की नवीनतम यात्रा का उद्देश्य इस्लामाबाद को आसन्न ईरानी हमले के बारे में पहले से सूचित करना हो सकता है।

हालांकि, इन रिपोर्टों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है लेकिन दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे पर की गई एयरस्ट्राइक ने इलाके में तनाव बढ़ा दिया है।

खासकर तब, जब 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के आतंकी हमले के जवाब में गाजा में लंबे समय से युद्ध चल रहा है। इस बीच, राहत की बात यह है कि ईरान और पाकिस्तान , दोनों पक्षों ने तनाव को कम करने की इच्छा का संकेत दिया है।

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और सशस्त्र बलों के प्रमुखों ने ईरान के साथ जारी तकरार के बीच शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की।

इससे ठीक पहले, दोनों पड़ोसी देशों ने एक-दूसरे के क्षेत्र में अपने सैन्य हमलों के बाद बिगड़े संबंधों को दुरूस्त करने के लिए सहमति जताई।

एक सूत्र ने बताया कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार-उल-हक काकड़ ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की बैठक की अध्यक्षता की। इसमें तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुख, कैबिनेट मंत्री और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

सात समुंदर पार से आया राम भक्त, प्राण प्रतिष्ठा से पहले झूम-झूमकर गा रहा भजन; VIDEO…

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सात समुंदर पार से आया राम भक्त, प्राण प्रतिष्ठा से पहले झूम-झूमकर गा रहा भजन; VIDEO…

अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार है। 22 जनवरी को भव्य आयोजन के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा।

इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए न सिर्फ देश से बल्कि सात समुंदर पार से भी भक्तगण अयोध्या पहुंच रहे हैं। ऐसे ही एक भक्त का वीडियो सोशल मीडिया पर छाया है।

यह भक्त यूरोप के देश हंगरी से अयोध्या पहुंचे हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले जहां अयोध्या की गलियां राममय हो गई हैं, ऐसे में यह राम भक्त भी झूम-झूमकर राम भजन गाते नजर आ रहे हैं। 

एक वीडियो को न्यूज एजेंसी एएनआई की एक्स हैंडल पर शेयर किया गया है। जिसमें हंगरी से आए एक राम भक्त अन्य भक्तों के साथ ‘रघुपति राघव राजा राम’ गाते नजर आ रहे हैं।

उनके इस अंदाज को सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया जा रहा है।

श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आज पांचवें दिन सुबह नौ बजे से जारी रहा। आज का पूजा अनुष्ठान शाम तक चला। प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी को दोपहर बाद सरयू नदी से प्रारम्भ हुआ था और 17 जनवरी को श्रीरामलला की मूर्ति का मंदिर परिसर में आगमन हुआ था।

प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में रामलला के विग्रह के अधिवास के साथ आज मुख्यतः वास्तु पूजा चल रही है। इस पूजा में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से अनिल मिश्र सपरिवार और विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष और अन्य लोग पूजा कर रहे हैं। 

प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्रीरामलला की मुख्य प्रतिमा गर्भ गृह में विराजमान है और विविध अधिवास में है। आज रामलला के विग्रह को पहले शर्करा अधिवास और फलाधिवास में रखा गया। इसके बाद 81 कलशों में एकत्रित अन्य औषधियुक्त जल से स्नान कराया गया।

फिर विग्रह को पुष्पाधिवास में रखकर आज की अधिवास प्रक्रिया पूरी की जाएगी। कल 21 जनवरी को भी विग्रह के अधिवास की प्रक्रिया जारी रहेगी।

रामलला का पुराना विग्रह अभी पहले की तरह विद्यमान है। उचित समय पर उसे पूरे धार्मिक विधि विधान के साथ मंदिर में विराजमान किया जाएगा। 

फूलों सज गया मंदिर
मंदिर के ऊपरी हिस्से को भी बेहद खूबसूरत अंदाज में संवारा जा रहा है। इस काम के लिए तमाम कर्मचारी तैनात किए गए हैं। अंदरूनी भाग में भी फूल लगाए गए हैं।

मूल रूप से पीले, सफेद, बैंगनी और लाल रंग के फूलों को प्रमुखता दी जा रही है। बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा में अब मात्र दो ही दिन का समय बाकी रह गया है।

ऐसी है मंदिर की बनावट
गौरतलब है कि राम मंदिर को शास्त्रीय परंपरा के अनुसार नागर शैली में बनाया गया है। इसकी लंबाई पूर्व से पश्चिम 380 फीट, जबकि चौड़ा 250 फीट है।

वहीं, मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है। वास्तुकला की नागर शैली की उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई है। इस शैली में बनाए गए मंदिरों के पिरामिड काफी ऊंचे होते हैं और इन्हें शिखर कहा जाता है।

मंदिर के शीर्ष पर कलश बने होते हैं। राम मंदिर के पिलर्स और दीवारों पर देवी-देवताओं के चित्र उकेरे गए हैं। मंदिर कुल तीन मंजिलों का है और हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। इसमें कुल 392 पिलर्स और 44 दरवाजे हैं।

पीएम मोदी कर रहे अनुष्ठान
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान होंगे। पीएम मोदी भी 11 दिन का अनुष्ठान कर रहे हैं। 

इन दिनों वह मात्र नारियल पानी पी रहे हैं और जमीन पर कंबल बिछाकर सो रहे हैं। इसके अलावा ब्रह्ममुहूर्त में उठकर विशेष मंत्र का जाप भी कर रहे हैं।

अयोध्या में कार्यक्रम की तैयारी जोरों पर है और इसे सजाया संवारा जा रहा है। बीते दिनों मुख्यमंत्री नरेंद्र योगी खुद अयोध्या पहुंचे थे और तैयारियों का जायजा लेने के साथ जरूरी दिशानिर्देश भी दिए थे।

अमेरिका में भी राम मंदिर का जश्न, प्राण प्रतिष्ठा समारोह मनाने की तैयारी में जुटे लोग…

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अमेरिका में भी राम मंदिर का जश्न, प्राण प्रतिष्ठा समारोह मनाने की तैयारी में जुटे लोग…

अमेरिका में स्थित सैकड़ों की संख्या में मंदिर अगले सप्ताह अयोध्या के राम मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मनाने की तैयारियों में जुट गये हैं।

हजारों की संख्या में भारतीय अमेरिकियों के इस सप्ताह से शुरू होने वाले कई कार्यक्रमों में भाग लेने की संभावना है। 

अमेरिका के हिंदू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष कल्याण विश्वनाथन ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, ”अयोध्या विनाश और उपेक्षा से पुन: उभर रही है, जो सनातन धर्म की शाश्वत प्रकृति का प्रतीक है।

550 वर्षों के बाद राम लला मंदिर में होने वाला प्राण प्रतिष्ठा समारोह शहर और दुनियाभर के लगभग एक अरब हिंदुओं के लिए खुशियां लेकर आ रहा है।” अयोध्या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होगा।

टेक्सास में ‘श्री सीता राम फाउंडेशन’ के कपिल शर्मा ने कहा कि 500 वर्षों के इंतजार के बाद अयोध्या धाम में भगवान राम के मंदिर का निर्माण दुनिया भर के हिंदुओं के लिए आस्था और उत्सव का एक महत्वपूर्ण दिन है।

श्री सीता राम फाउंडेशन ने ह्यूस्टन में अपने मंदिर में श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि उत्सव की शुरुआत सुंदरकांड से होगी, जिसके बाद नृत्य, गायन और संगीत के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

इसके बाद हवन और भगवान राम का पट्टाभिषेक होगा, जिसका समापन भगवान राम की शोभा यात्रा और प्रसाद वितरण के साथ होगा। 

शर्मा ने कहा, ”अयोध्या धाम से मंगाये गए प्रसाद और धूल को वितरित करना भी हमारे लिए सम्मान की बात है, जिसे विशेष रूप से हमारे कार्यक्रम के लिए यहां लाया जा रहा है।”

मैरीलैंड के गवर्नर वेस मूर शनिवार को वाशिंगटन के एक उपनगर में राम मंदिर उत्सव कार्यक्रम में भाग लेने वाले हैं। कुछ पाकिस्तानी अमेरिकी भी ग्रेटर वाशिंगटन क्षेत्र में होने वाले उत्सव में शामिल होंगे।

कौन हैं बृज नारायण चकबस्त, जिन्होंने उर्दू में बयां किया है रामायण का एक सीन; राम, दशरथ और कौशल्या के भावुक संवाद…

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कौन हैं बृज नारायण चकबस्त, जिन्होंने उर्दू में बयां किया है रामायण का एक सीन; राम, दशरथ और कौशल्या के भावुक संवाद…

अयोध्या के राम मंदिर में सोमवार 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी है।

इससे पूर्व राम और उनसे तमाम चीजों पर चर्चा हो रही है। इन सबके बीच याद आते हैं एक ऐसे कवि जिनका परिवार कश्मीरी ब्राह्मण था और उनका जन्म हुआ था फैजाबाद में।

इस शख्सियत का नाम था बृज नारायण चकबस्त। चकबस्त का जन्म 19 जनवरी 1882 को फैजाबाद में हुआ था।

वह उर्दू में गजलें और देशभक्ति गीत लिखा करते थे। लेकिन भगवान राम के ऊपर उर्दू में उनके लिखे ने उन्हें खासी मशहूरी दिलाई।

खासतौर पर रामायण का एक सीन, जिसमें उन्होंने भगवान राम के वन गमन और इस दौरान राम, दशरथ और कौशल्या के बीच संवाद का दृश्य रचा है, वह बेहद मार्मिक है। 

पिता दशरथ के पास कैसे पहुंचे राम
रामायण का एक सीन में बृज नारायण चकबस्त ने उस वक्त का वर्णन किया है, जब भगवान राम वनवास के लिए निकल रहे हैं।

इसकी पहली लाइन है, ‘‘रुख़्सत हुआ वो बाप से ले कर ख़ुदा का नाम, राह-ए-वफ़ा की मंज़िल-ए-अव्वल हुई तमाम’’। यहां पर भगवान राम वनगमन से पूर्व अपने पिता से मिलने के लिए पहुंचे हुए हैं।

वह कहते हैं कि हे पिता आपके वचन की लाज रखने के लिए मैं अयोध्या छोड़कर जा रहा हूं। आलम यह है कि भगवान राम अपने पिता के पास बहुत देर तक रुकना भी नहीं चाहते।

इसकी वजह बताते हुए कवि ने लिखा है, “इजहार-ए-बे-कसी से सितम होगा और भी, देखा हमें उदास तो गम होगा और भी”। 

कौशल्या-राम संवाद
इसके बाद भगवान राम अपनी मां कौशल्या के पास पहुंचते हैं। चकबस्त ने इस दृश्य का भी बड़ा ही भावपूर्ण वर्णन किया है। यहां पर मां कौशल्या का जो हाल है वह बयां किया गया है।

चकबस्त ने लिखा है इसका वर्णन कुछ यूं किया है, “खामोश मां के पास गया सूरत-ए-खयाल, देखा तो एक दर में है बैठी वो खस्ता-हाल”।

आगे कौशल्या अपना हाल खुद कहती हैं। वह कहती जानती हैं कि भगवान राम उनके पास वन जाने की आज्ञा मांगने आए हैं। वह राम से कहती हैं, “सब की खुशी यही है तो सहरा को हो रवां, लेकिन मैं अपने मुंह से न हरगिज कहूंगी हां।

किस तरह बन में आंखों के तारे को भेज हूं, जोगी बना के राज-दुलारे को भेज दूं।

पेशे से वकील, लेकिन शायरी में निपुण
पंडित बृजनारायण पढ़े लिखे परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने उर्दू और फारसी की पढ़ाई तो की ही थी, साथ ही अंग्रेजी भी पढ़ी थी।

साल 1905 में केनिंग कॉलेज लखनऊ से उन्होंने बीए पास किया और वहीं से वकालत करने के बाद इस पेशे में आए गए। दूसरी तरफ शायरी का शौक भी उन्हें कम नहीं था।

बताते हैं जब बृज नारायण मात्र नौ साल के थे, तभी उन्होंने पहली गजल कही थी। उनकी मौत बेहद कम उम्र में हो गई थी। 12 फरवरी 1926 को महज 44 साल की उम्र में ब्रेन हैमरेज के चलते उनकी जान चली गई।

रायपुर : पक्ष-विपक्ष में सामंजस्य रहना चाहिए, तभी लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा और सकारात्मक परिणाम देगा: उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़…

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रायपुर : पक्ष-विपक्ष में सामंजस्य रहना चाहिए, तभी लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा और सकारात्मक परिणाम देगा: उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़…

उपराष्ट्रपति ने विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम को किया संबोधित

भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि पक्ष और विपक्ष के विधायकों में लगातार संपर्क और सामंजस्य होना चाहिए, तभी लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा और सकारात्मक परिणाम देगा। आप सदन में प्रतिद्वंदी नहीं हैं, वहां सौहार्द्रपूर्ण वातावरण होना चाहिए।

आप लोग सामंजस्य बनाकर जनहित में बेहतर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में सीखने की प्रक्रिया निरंतर चलते रहती है। सदन में नये विधायकों को पुराने विधायकों से भी काफी कुछ सीखने मिलेगा।

उपराष्ट्रपति ने संविधान सभा के गठन और भारत के संविधान के निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विधायिका के सदस्यों को संविधान को जानना जरूरी है।

जनआकांक्षाओं के अनुरूप कानूनों में बदलाव विधायिका का प्रमुख कार्य है।

प्रचलित कानूनों में बदलाव भारत में ही नहीं दुनिया के सभी देशों में होता है। उन्होंने कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में मौलिक अधिकार बहुत अहम हैं। इसके बिना प्रजातंत्र नहीं चल सकता है।

उपराष्ट्रपति ने विधायकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोई भी अधिकार बिना जिम्मेदारी के नहीं आता। आप सदन में अपने बोले हुए हर शब्द के लिए जवाबदेह हैं।

आप सब लोग इतिहास का हिस्सा रहेंगे। आपके योगदान का आगे मूल्यांकन होगा। नये विधान के निर्माण में आपकी चिंता, चिंतन और मंथन दिखाई देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष की सबसे बड़ी ताकत सदन को चलने देने में है। अनावश्यक व्यवधान को जनता पसंद नहीं करती है। उन्होंने कहा कि सदन नियमों से चलता है। सभी सदस्यों को इन नियमों को मानना होता है।

जनता चाहती है कि सदन में उनके मुद्दों पर चर्चा-परिचर्चा हो और जनप्रतिनिधियों द्वारा जनकल्याणकारी निर्णय लिए जाएं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विपक्ष द्वारा सरकार की आलोचना रचनात्मक और समाधानपूर्ण होना चाहिए। विपक्ष को जनता के मुद्दों को टेलीस्कोप की तरह देखना चाहिए और सरकार के काम पर माइक्रोस्कोप की तरह नजर रखना चाहिए।

राज्य के धन का सदुपयोग हो, यह बजट चर्चा के दौरान आप लोगों को देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईश्वरीय अनुकंपा छत्तीसगढ़ पर बहुत है। यह विकास की सारी संभावनाएं समेटे हुए हैं। उन्होंने सभी विधायकों से अपील की कि छत्तीसगढ़ को विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाएं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के दौरान हमारे नवनिर्वाचित विधायकों को संसदीय परंपरा और कार्यप्रणाली के बारे में जानने-समझने को मिलेगा।

हमारी यह छठवीं विधानसभा काफी ऊर्जावान और युवा है। हमारे 90 में से 50 विधायक पहली बार निर्वाचित होकर आए हैं, उनके लिए यह काफी उपयोगी होगा।

पुराने विधायकों के लिए भी यह रिविजन का अवसर होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशवासियों ने जिन उम्मीदों से हमें चुनकर भेजा है, उसे पूरा कर पाने में हम सभी सफल होंगे, ऐसी उम्मीद है।

प्रबोधन कार्यक्रम के पहले दिन के अंतिम सत्र को उपमुख्यमंत्री अरूण साव और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भी संबोधित किया।

संसदीय कार्य मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, उत्तरप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, राज्यसभा के महासचिव पी.सी. मोदी और छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव दिनेश शर्मा भी आज के अंतिम सत्र में मौजूद थे।

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