प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कैबिनेट मीटिंग के दौरान अयोध्या जाने को लेकर अपने कैबिनेट सहयोगियों को एक खास सुझाव दिया।
सरकारी सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने कहा है कि राम मंदिर दर्शन के लिए इस वक्त भारी भीड़ उमड़ रही है। ऐसे में केंद्रीय मंत्रियों को इस वक्त अयोध्या जाने से बचना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा कि वीआईपी के आवागमन और प्रोटोकॉल के चलते आम लोगों को काफी परेशानी होगी। इसलिए कैबिनेट के सहयोगियों को अगर अयोध्या जाना है तो इसकी योजना मार्च में बनानी चाहिए।
23 जनवरी से ही है भारी भीड़ गौरतलब है कि 23 जनवरी की सुबह रामलला के दर्शन के लिए राम मंदिर को खोल दिया गया है। इसके बाद से ही वहां पर भारी भीड़ उमड़ी हुई है।
इसमें देश और दुनिया के श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं। कल यानी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन भीड़ का आलम यह था कि तिल रखने की जगह नहीं थी। यही नहीं, कई बार हालात भी बेकाबू हो गया।
आखिरकार सीएम योगी ने खुद मोर्चा संभाला और राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को व्यवस्था चाक-चौबंद करने के निर्देश दिए। अभी भी राम मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे हुए हैं और लगातार दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी है।
सीएम भी व्यवस्था में जुटे इस बीच अयोध्या में रामलला के दर्शनार्थियों की भारी भीड़ को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी ऐक्शन में आ चुके हैं। सीएम योगी ने परिवहन विभाग, नगर विकास और पुलिस विभाग के बीच तालमेल तथा अंतरराज्यीय/अंतर्जनपदीय संवाद और समन्वय बनाये रखने के निर्देश देते हुए अयोध्या के लिए अतिरिक्त बसों का संचालन अभी स्थगित रखने की हिदायत दी है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मंगलवार को अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि ट्रस्ट के पदाधिकारियों एवं स्थानीय प्रशासन के साथ परिस्थितियों का जायजा लेने के बाद बुधवार को अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
किए जाएं बेहतर इंतजाम सीएम योगी ने बड़ी संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं के लिए दर्शन एवं अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की समीक्षा करते हुए हर श्रद्धालु के सहज, सुगम एवं संतोषपूर्ण दर्शन के लिए सभी आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं। आदित्यनाथ ने कहा कि मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव, परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव और नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव बेहतर समन्वय से श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए जरूरी इंतजाम सुनिश्चित कराएं। उन्होंने यह भी कहा कि साथ ही अयोध्या की सीमा से सटे जिलों के साथ अयोध्या प्रशासन अंतरराज्यीय संवाद और सम्पर्क बनाये रखें। मुख्यमंत्री का कहना था कि किस दिशा से कितने श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है, इसका आकलन करते हुए उसके अनुसार जरूरी प्रबंध किए जाएं।
यह खबर आपको हंसा-हंसाकर पेट में पेट में दर्द कर सकती है।
एक फ्लाइट में ऐसा यात्री चढ़ा जो लगातार गैस छोड़ रहा था। उसके विमान लगातार दुर्गंध फैलाने से बाकियों का हाल बेहाल हो रहा था।
एक रिपोर्ट के अनुसार, यात्री के लगातार गैस छोड़ने पर विमान टेक ऑफ नहीं कर पा रहा था, जिसके बाद अन्य यात्रियों की शिकायत पर उसे विमान से उतारा गया।
इस घटना के कारण फ्लाइट भी काफी देर रुकी रही। इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, उस यात्री की हरकत ने सभी का हाल बेहाल कर दिया था।
घटना 14 जनवरी की बताई जा रही है। मामला अमेरिकी एयरलाइन्स के एरिजोना हवाई अड्डे का बताया जा रहा है। विमान को ऑस्टिन के लिए उड़ान भरनी थी।
Reddit पर एक यूजर ने अपना एक्सपीरिएंस शेयर करते हुए लिखा कि वह विमान में उस पंक्ति पर बैठा था, जहां ऐसी स्थिति पैदा हुई जो अभी तो हमें काफी हंसा रही है, लेकिन उस वक्त सभी का हाल बेहाल हो चुका था।
विमान में हुई घटना के बारे में उसने बताया,”कई मिनट बीत गए और सभी यात्री लोग बैठ चुके थे। लेकिन अब भी हमारे विमान ने उड़ान नहीं भरी थी।
इसकी वजह थी, मेरे बगल में बैठा वो शख्स, जो लगातार गैस छोड़ते जा रहा था। उसके ठीक बगल में बैठी महिलाएं भी अहसज हो रही थीं लेकिन, वो हर बार मुस्कुराते हुए दुर्गंध छोड़ते जा रहा था।”
इसके बाद गुस्साए यात्रियों ने उस पर चिल्लाना शुरू कर दिया। क्योंकि कोई भी दुर्गंध झेल नहीं पा रहा था। आखिरकार यात्रियों की लगातार अहसहमति के बाद यह फैसला लिया गया कि उस व्यक्ति को विमान से उतार दिया जाए।
विमान विमान, जो टेकऑफ़ के लिए रनवे की ओर जा रही थी, यात्रियों के बीच गहमा-गहमी के चलते रुक गई। अंत में, फ्लाइट क्रू ने मामले में हस्तक्षेप किया और उस यात्री को विमान से उतारने का निर्णय लिया।
इसके बाद उस यात्री को एक महिला फ्लाइट अटेंडेंट ने सूचित किया कि वह फ्लाइट में नहीं रहेगा।
जब उसने चालक दल के सदस्य से इस बारे में जानने की कोशिश की कि उन्हें विमान से क्यों उतारा जा रहा है, तो उन्होंने कहा कि वे इस बारे में तब बात करेंगे जब वे विमान से उतरेंगे।
Reddit यूजर के मुताबिक, “वह अपनी सीट से उठता है, अपना बैग पकड़ता है और चुपचाप विमान से बाहर निकल जाता है। उस यात्री के बाहर निकलते ही सबने राहत की सांस ली।”
रिपोर्ट के अनुसार, विमान को टेक ऑफ में 15 मिनट की देरी हुई थी।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक पर्व छेरछेरा की बधाई और शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों की खुशहाली की मंगल कामना की है।
मुख्यमंत्री साय ने छेरछेरा पर्व की पूर्व संध्या पर जारी अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि महादान और फसल उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला छेरछेरा त्योहार हमारी सामाजिक समरसता, दानशीलता की और समृद्ध गौरवशाली परम्परा का संवाहक है।
यह नई फसल के घर आने की खुशी में पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी दिन मां शाकम्भरी जयंती भी मनाई जाती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, इसलिए लोग धान के साथ साग-भाजी, फल का दान भी करते हैं।
अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की एक सुंदर और मोहिनी मुस्कान वाली मूर्ति विराजमान है।
इसे मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने सात महीने में तैयार किया है। गर्भगृह के लिए तीन मूर्तियां आई थी, जिसमें योगीराज की मूर्ति सलेक्ट हुई।
22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद गर्भगृह में स्थापित रामलला की श्यामल मूर्ति के दर्शन तो हो गए लेकिन, अब बाकी की दो मूर्तियों की तस्वीर सामने आई है। इन मूर्तियों को गणेश भट्ट और सत्य नारायण पांडे ने तैयार किया है।
अपनी शिल्प कौशल में समान रूप से आश्चर्यजनक ये मूर्तियां मंदिर परिसर के भीतर अपने अंतिम स्थान की प्रतीक्षा में हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि इन मूर्तियों को मंदिर के प्रथम तल में स्थान दिया जाएगा। इन मूर्तियों पर भी रामभक्तों का विशेष ध्यान आकर्षित हुआ है।
मूर्तिकार गणेश भट्ट द्वारा काले रंग के पत्थर (कृष्णशिला) से बनाई रामलला की मूर्ति ने भक्तों और कला प्रेमियों का ध्यान आकर्षित किया है।
अब इस मूर्ति की तस्वीरें जारी की गई हैं। पांच वर्षीय रामलला की मासूमियत दिखाती 51 इंच की मूर्ति, कृष्ण शिला के नाम से जाने जाने वाले काले पत्थर से बनाई गई है।
यह शिला कर्नाटक के मैसूर में मिलती है। गणेश भट्ट द्वारा निर्मित रामलला की मूर्ति को गर्भगृह के लिए नहीं चुना गया, लेकिन राम मंदिर के मामलों की देखरेख करने वाले ट्रस्ट ने आश्वासन दिया है कि मूर्ति को मंदिर परिसर में जल्द स्थापित किया जाएगा।
गणेश भट्ट द्वारा निर्मित रामलला की मूर्ति उन दो में से एक है जो गर्भगृह में नहीं पहुंच सकीं। दूसरी मूर्ति सत्यनारायण पांडे द्वारा बनाई गई है।
सत्य नारायण पांडे द्वारा रामलला की मूर्ति सफेद संगमरमर से बनाई गई है। यह आकर्षक मूर्ति सुनहरे आभूषणों और कपड़ों से सजाई गई है।
मूर्ति के चारों ओर भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों को दर्शाया गया है। पांडे द्वारा निर्मित सफेद संगमरमर की मूर्ति भी संभवतः मंदिर की पहली मंजिल पर स्थापित की जाएगी।
गर्भगृह में स्थापित मूर्ति की मुस्कान का राज जिस मूर्ति को गर्भगृह के लिए चुना गया वो अरुण योगीराज की है। वह मैसूर के रहने वाले हैं और उनका परिवार करीब 300 साल से मूर्ति बनाने का काम करता है।
उनकी बनाई मूर्ति के गर्भगृह में स्थापित होने पर वह खुशी जताते हैं। कहते हैं कि वो धरती के सबसे भाग्यशाली इंसान हैं। मूर्ति को बनाने में उन्हें सात महीने लग गए।
इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा कि भगवान राम उन्हें जैसा आदेश देते रहे, वो मूर्ति बनाते रहे।
योगीराज ने कहा कि मूर्ति बनने के बाद अलग छवि थी और प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें मूर्ति अलग और ज्यादा सुंदर लग रही है। इसके पीछे भगवान राम का ही चमत्कार है।
योगीराज ने कहा कि मूर्ति में रामलला की मुस्कान लाने के लिए वो स्कूलों में गए और बच्चों के बीच समय बिताया। इसके अलावा मानव शरीर रचना विज्ञान से जुड़ी कई किताबें भी पढ़ी।
योगीराज बताते हैं कि उन सात महीनों में उन्हें कई चमत्कारिक अनुभव मिले। जैसे रोज एक बंदर उनके घर के दरवाजे पर आकर रामलला की मूर्ति के दर्शन को आता था।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है।
उन्होंने अपने बधाई संदेश में कहा है कि पर्यटन देश-प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
इससे न सिर्फ लोगों को स्थानीय सांस्कृतिक, भौगोलिक, प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं अद्भुत स्थलों को जानने का मौका मिलता है, बल्कि यह हजारों परिवारों के जीवनयापन के लिए आजीविका के नए रास्ते भी खोलता है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राष्ट्रीय पर्यटन दिवस का उद्देश्य भारत में पर्यटन उद्योग के महत्व पर जोर देना है और लोगों के बीच इसके प्रति जागरूकता को बढ़ाना है ताकि यह देश को भविष्य में आर्थिक तरीके से लाभ देता रहे।
भारत हमेशा से अपनी समृद्ध संस्कृतियों के लिए जाना जाता है इसलिए भारत के प्रत्येक क्षेत्र की एक लंबी और शानदार पृष्ठभूमि है।
यह सब दिखाने का सबसे बड़ा तरीका पर्यटन के माध्यम से है। इसके माध्यम से व्यक्तियों को अपने देश की सुंदर भूमि के बारे में जानने के लिए भी जागरूक किया जाता है।
रूस का एक प्लेन यूक्रेन की सीमा के पास क्रैश हो गया है। इस हादसे में कम से कम 65 लोग मारे गए हैं।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के रक्षा मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। रूस का इल्यूशिन-76 प्लेन यूक्रेन की सीमा से लगने वाले इलाके बेलगोरोद में क्रैश हुआ है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्लेन में यूक्रेन की सेना के वे लोग सवार थे, जिन्हें युद्ध बंदी के तौर पर अगवा कर लिया गया था। रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘क्रैश हुए विमान में यूक्रेन की सेना के 65 सैनिक सवार थे, जिन्हें एक्सचेंज के लिए बेलगोरोद ले जाया जा रहा था। प्लेन में 6 क्रू मेंबर और तीन एस्कॉर्ट्स भी सवार थे।’
बेलगोरोद के गवर्नर याशेस्लाव ग्लाडकोव ने भी इस घटना की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने विस्तार से इसके बारे में कुछ बताने से इनकार कर दिया।
इस विमान हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। अब तक रूस का इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। इसके अलावा प्लेन क्रैश की वजह भी पता नहीं चल सकी है।
वीडियो में दिखता है कि याबलोनोवो गांव के पास प्लेन तेजी से नीचे आता है और फिर भीषण धमाके के बाद उसमें आग लग जाती है। देखते ही देखते आग की तेज लपटें उठती हैं और प्लेन में पूरी तरह खाक हो जाता है।
हमारी सरकार भगवान श्री राम के ननिहाल वालों को उनके अयोध्या तीर्थ दर्शन के लिए ले जाएगी : मुख्यमंत्री साय
अयोध्या के श्रीराम मंदिर में हमारे भांचा श्रीराम का अलौकिक बाल विग्रह का आलोक देखते ही बन रहा
06 समिति के लोग साठ दिनों तक अयोध्या में भण्डारा चलाकर रामभक्तों को कराएंगे भोजन
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर स्थित श्री राम मंदिर परिसर से श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में भण्डारे के संचालन के लिए कार्यकर्ताओं की टीम को झंडी दिखाकर अयोध्या के लिए रवाना किया।
मुख्यमंत्री साय ने मंदिर में दर्शन कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की प्रार्थना की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आज हम सबके लिए एक विशेष अवसर है। भगवान श्रीराम के ननिहाल छत्तीसगढ़ से राम भक्त कार्यकर्ताओं और रसोईयों की टीम राम दर्शन के लिए अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को भण्डारा भोज कराने रवाना हो रहे हैं।
भगवान श्रीराम की ही कृपा है कि 22 जनवरी को छत्तीसगढ़ के भांचा भगवान राम अयोध्या में अनेक वर्षों तक टेंट में रहने के बाद विधि-विधान से विराट मंदिर में विराजमान हुए।
श्रीराम मंदिर में आयोजित भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के करकमलों से देश भर से अयोध्या पहुंचे संतो, महात्माओं की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
जिसका लाइव प्रसारण हम सबने देखा। यह इतना अद्भुत दृश्य था। हमारे भांचा श्रीराम का अलौकिक बाल विग्रह का आलोक देखते ही बन रहा था।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बहुत खुशी है कि पूरा देश ही नहीं अपितु दुनिया भी राममय हुई है।
हमारे छत्तीसगढ़ में श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का ज्यादा ही उत्साह है, यह होना स्वाभाविक भी है क्योंकि हम सभी श्रीराम के ननिहाल वाले हैं। छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की धरती है।
हम ननिहाल वाले तरह-तरह से श्रीराम के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहे हैं। हमने यहां से सुगंधित चावल और सब्जियां भेजी, जिसका भोग प्राण प्रतिष्ठा के दिन श्रीराम को लगाया गया। हमारे यहां सत्य सांई अस्पताल से डॉक्टरों की टीम भी स्वास्थ्य सेवा करने अयोध्या गई।
हमारे 06 समिति के लोग अब साठ दिनों तक अयोध्या में भण्डारा चलाकर रामभक्तों को भोजन कराएंगे। ऐसे लोगों को अयोध्या रवाना कराने का सौभाग्य मिला है।
मैं आप सभी को बधाई और धन्यवाद देना चाहूंगा। मेरी मंगल कामना है कि छत्तीसगढ़ पर भगवान श्रीराम का आशीर्वाद बना रहे।
मुख्यमंत्री साय ने भण्डारा आयोजक 06 समिति के समन्वयक धरमलाल कौशिक, समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों को शुभकामना देते हुए कहा कि भोजन कराना बड़े पुण्य का काम है।
भण्डारे की व्यवस्था में बड़ी मेहनत लगती है। इस काम की जितनी तारीफ की जाए कम है। अब छत्तीसगढ़ के लोग ट्रेन के माध्यम से अयोध्या जाएंगे।
इसमें पहली ट्रेन दुर्ग से जाने वाली है। इसके बाद रायपुर, बिलासपुर फिर अंबिकापुर से श्रद्धालु श्री रामलला के दर्शन के लिए चार ट्रेनों में रवाना होगी। मोदी जी की गारंटी में हमारी सरकार भगवान श्री राम के ननिहाल वालों को उनके तीर्थ दर्शन के लिए ले जाएगी।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि अयोध्या में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ पहुंच रही है। भगवान श्रीराम छत्तीसगढ़ के भांचा हैं और उनके दर्शन के लिए अयोध्या जाने वाले श्रद्धालु भूखे न रहे, इसकी चिंता छत्तीसगढ़ ने की है।
अनाज से लेकर बड़े बर्तन एवं रसोईए भी इस दल के साथ अयोध्या के लिए आज रवाना हो रहे हैं। अयोध्या में 60 दिनों तक शबरी प्रसादालय के माध्यम से निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
विधायक संपत अग्रवाल ने कहा कि पूरा देश इस उत्सव में जोर-शोर से शामिल हो रहा है। छत्तीसगढ़ श्रीराम का ननिहाल है इसलिए गांव का बच्चा-बच्चा राममय हो गया है।
गौरतलब है कि संपत अग्रवाल ने श्रीराम लला के ननिहाल छत्तीसगढ़ से अयोध्या जाकर सेवा कार्य करने वाली समितियों को और राम सेवकों को एकजुट किया है।
इन समितियों में नीलांचल सेवा समिति, स्वर्गीय पुरूषोत्तम अग्रवाल फाउंडेशन, काली मंदिर सेवा समिति, एग्रोटेक सोसायटी और अक्षत फाउंडेशन, उन्होंने बताया कि राम मंदिर के समीप सरयू तट पर लगभग एक किलोमीटर में छत्तीसगढ़ की समितियों द्वारा संचालित शबरी प्रसादालय संचालित किया जाएगा।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, सांसद सुनील सोनी, विधायक पुरंदर मिश्रा, विधायक संपत अग्रवाल, विधायक गुरू खुशवंत साहेब, विधायक मोतीलाल साहू, इस कार्यक्रम की सहसंयोजक श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल सहित श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की रेकमंडेशन के बाद केंद्रीय कानून मंत्री ने बुधवार को जस्टिस प्रसन्ना वाराले की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी।
केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में इसकी जानकारी दी।
जस्टिस प्रसन्ना कर्नाटक हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस रहे हैं। उनकी नियुक्ति के साथ दिसंबर 2023 में जस्टिस संजय किशन कौल के रिटायरमेंट से खाली हुई जगह भर जाएगी।
इसके बाद ऐसा पहली बार होगा, जब सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन दलित जज होंगे। आइए जानते हैं आखिर कौन हैं जस्टिस प्रसन्ना वाराले, जिनके शपथ लेते ही सुप्रीम कोर्ट में रिकॉर्ड बन जाएगा।
1962 में जन्म जस्टिस वाराले का जन्म साल 1962 में कर्नाटक के निपानी में हुआ था। यह जगह महाराष्ट्र की सीमा पर है। उन्होंने डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर मराठा यूनिवर्सिटी से आर्ट्स और लॉ की पढ़ाई की थी।
इसके बाद 1985 में वह वकालत में एनरोल हुए। अपने कॅरियर की शुरुआत में उन्होंने एडवोकेट एसएन लोया का चैंबर ज्वॉइन किया।
यहां पर उन्होंने सिविल और क्रिमिनल लॉ की प्रैक्टिस शुरू की। वह 1990 से 1992 के बीच औरंगाबाद के अंबेडकर लॉ कॉलेज में लेक्चरर भी रहे थे।
उन्होंने औरंगाबाद में बॉम्बे हाईकोर्ट बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त सरकारी वकील के रूप में काम किया। उन्हें 18 जुलाई, 2008 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस जस्टिस प्रसन्ना बी वाराले अक्टूबर 2022 से कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। यहां पर उन्हें जनहित के कई मामलों में स्वत: संज्ञान के लिए जाना जाता है। कर्नाटक हाई कोर्ट के वकील उन्हें जमीन से जुड़ा हुआ और आम आदमी के हित में काम करने वाला बताते हैं।
कर्नाटक हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति से पहले जस्टिस प्रसन्ना ने बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के रूप में 14 साल तक अपनी सेवाएं दी हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में, उनकी अध्यक्षता वाली पीठों ने जनहित में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले शुरू किए।
इसमें अंबेडकर के लेखन और भाषणों को प्रकाशित करने के लिए एक रुकी हुई परियोजना पर जनहित याचिका भी शामिल थी।
जस्टिस वराले की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनवरी 2022 में एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका भी शुरू की, जिसमें जोखिम भरी नाव की सवारी के बारे में एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान लिया गया, जिसे महाराष्ट्र के सतारा जिले के खिरखांडी गांव की लड़कियों को अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए रोजाना करना पड़ता है।
बेंच ने सरकार से कहा कि वह राज्य में इसी तरह की दुर्दशा का सामना कर रहे स्कूली बच्चों को मदद मुहैया कराए।
यादें की थीं शेयर बॉम्बे बार एसोसिएशन में 12 अक्टूबर 2022 को अपने फेयरवेल में जस्टिस वाराले ने कहा था कि मैं खुशनसीब हूं कि मेरा जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जिसके ऊपर बीआर अंबेडकर का आशीर्वाद है। उन्होंने कहा कि उनके दादा को अंबेडकर औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) ले गए थे।
उन्हें उस कॉलेज के अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था जिसे अंबेडकर ने वहां शुरू किया था। जस्टिस प्रसन्ना ने इसी दौरान कहा था कि अगर अंबेडकर न होते तो दूरस्थ इलाके में रहने वाले उनके दादाजी कभी औरंगाबाद न पहुंच पाते।
अगर ऐसा नहीं होता तो फिर यह भी संभव नहीं होता कि उनकी अगली पीढ़ी का कोई आदमी कभी कानूनी पेशे में आता और हाई कोर्ट के जज की कुर्सी पर बैठता।
जस्टिस वाराले ने यह भी बताया था कि अंबेडकर ने उनके पिता भालचंद्र वाराले को कानूनी पेशे में आने की सलाह दी थी। भालचंद्र वाराले कई कोर्ट में न्यायिक अधिकारी बने और बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट में रजिस्ट्रार बने थे।