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ममता बनर्जी के तेवर से INDIA के छोटे दलों की बढ़ेगी ताकत, कांग्रेस को करना होगा सरेंडर…

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) को बड़ा झटका दिया है।

सीट बंटवारे से नाराज तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रदेश में सभी सीट पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान दिया है।

ममता बनर्जी ने ऐसे वक्त एकला चलो की घोषणा की है, जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुआई वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा गुरुवार को पश्चिम बंगाल के कूचबिहार पहुंच रही है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सख्त तेवरों ने कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया है। पार्टी डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुटी है, पर अब राह आसान नहीं है।

ममता बनर्जी को मनाने के लिए कांग्रेस को उनकी सभी शर्तों को स्वीकार करना होगा।

तृणमूल कांग्रेस लगातार कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में दो सीट देने की पेशकश कर रही है, पर पार्टी कम से कम पांच सीट चाहती है। इसके साथ पार्टी को प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को भी चुप कराना होगा।

तृणमूल कांग्रेस के एकला चलो के ऐलान से इंडिया गठबंधन में सिर्फ उसकी तोल-मोल की ताकत नहीं बढ़ी है, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दूसरे क्षेत्रीय घटकदलों को भी ताकत दे दी है।

यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच तीन दौर की बातचीत के बावजूद कोई सहमति नहीं बन पाई है। वर्ष 2019 चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी, पर गठबंधन में पार्टी 15 सीट मांग रही है।

ममता के रुख के बाद समाजवादी पार्टी को भी ताकत मिली है।

समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस को जमीनी हकीकत को समझना होगा। वर्ष 2017 में कांग्रेस ने सपा गठबंधन में 114 सीट पर चुनाव लड़ा था, पर वह सिर्फ सात सीट जीत पाई।

इसी तरह 2014 लोकसभा में दो और 2019 में सिर्फ एक सीट मिली थी। ऐसे में कांग्रेस को अपनी स्थिति को समझते हुए ही सीटों पर दावेदारी करनी चाहिए।

सपा रालोद के साथ सीट बंटवारा कर चुकी है और दूसरी छोटी पार्टियों के साथ भी चर्चा जारी है।

इसी तरह बिहार में सीट बंटवारे पर राजद और जद(यू) की ताकत बढ़ गई है। झारखंड में जेएमएम इस बार कांग्रेस को 2019 की तर्ज पर सीट देने के लिए तैयार नहीं है। तमिलनाडु में डीएमके के साथ सीट बंटवारे को लेकर बयानबाजी चल रही है। ऐसे में कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया है।

पार्टी के एक नेता ने कहा कि अब कांग्रेस को गठबंधन बरकरार रखने के लिए क्षेत्रीय दलों की बात माननी होगी, वर्ना गठबंधन टूटने के लिए उसे जिम्मेदार माना जाएगा।

कांग्रेस को अपनी जिम्मेदारी का अहसास
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास है। हम सभी को साथ लेकर चलने की पूरी कोशिश करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि ममता बनर्जी के रुख से सीट बंटवारे पर पार्टी की क्षेत्रीय दलों के साथ सौदेबाजी की ताकत कम हुई है।

पार्टी को अब और सावधानी के साथ घटकदलों संग चर्चा करनी होगी, ताकि उन्हें नाराज होने का कोई मौका न मिले। मौजूदा राजनीतिक स्थिति में पार्टी इसे अपनी जिम्मेदारी भी मानती है।

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