Homeराज्यसब्जियों के दाम छू रहे आसमान, गड़बड़ा गया रसोई का बजट  

सब्जियों के दाम छू रहे आसमान, गड़बड़ा गया रसोई का बजट  

मुंबई। महंगाई ने आम उपभोक्ताओं की कमर तोड़ दी है. आलम यह है कि सब्जी से लेकर हर सामान में मूल्य वृद्धि से आम जनता में घबराहट फैली हुई है। खासकर हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. सिर्फ मुंबई, पुणे, नागपुर ही नहीं बल्कि राज्य के कई हिस्सों की मंडियों में भी सब्जियां महंगी हैं. बढ़ी हुई दर का उपभोक्ताओं की खरीदारी पर बड़ा असर पड़ा है। उपभोक्ताओं की खरीदारी एक किलो से घटकर आधा किलो रह गई है। आम उपभोक्ताओं का रसोई का बजट चरमरा गया है. पिछले एक पखवाड़े से हो रही प्री-मानसून बारिश, जलवायु परिवर्तन का असर सब्जी उत्पादन पर पड़ा है। राज्य के कुछ हिस्सों में रुक-रुक कर प्री-मानसून बारिश होती रही. विदर्भ में सूरज की तपिश बढ़ी. इससे सब्जियों का उत्पादन घट गया और कीमतें बढ़ गईं. इससे बाजार में सब्जियों की आवक कम हो गयी. पत्तेदार सब्जियों और फलों के दाम बढ़ गए हैं. इस समय ग्वार, लोबिया और वालशांगा 100 रुपये, टमाटर 60 रुपये, ग्वार 100 रुपये और मेथी 120 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. धनिया सबसे ज्यादा 200 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. बरसात के मौसम में सब्जियों की कमी के कारण महिलाओं का रसोई का बजट चरमरा गया है। मानसून के कारण सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. राज्य के कई हिस्सों में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाला धनिया 200 रूपये और मिर्च सीधे 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. टमाटर भी 60 रुपये किलो मिल रहा है. यही हाल आलू का भी है. आलू के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. फिलहाल बाजार में आलू 40 रुपये, बैंगन 80 रुपये, भिंडी 90 रुपये, पत्तागोभी 80 रुपये, शिमला मिर्च 80 रुपये, दूधिया कद्दू 60 रुपये और पत्तागोभी 60 रुपये बिक रही है.
पिछले एक पखवाड़े में तूफान के साथ बेमौसम बारिश से सब्जी का उत्पादन कम हो गया है। उत्पादन में कमी के कारण पिछले एक सप्ताह से सब्जियों की आवक कम हो गयी है. इससे सब्जियों की कीमत में 20 से 30 रुपये तक का इजाफा हो गया है. बेमौसम बारिश से फसल बह जाने या खराब होने से धनिया का दाम आसमान छू रहा है। विक्रेताओं ने बताया कि जून के अंत या जुलाई के पहले सप्ताह तक सब्जियों के दाम ऐसे ही रहेंगे, इसलिए आम उपभोक्ताओं को अभी कुछ दिनों तक बढ़ते दामों पर सब्जियां खरीदनी होंगी. इससे आम नागरिकों का घरेलू बजट बिगड़ गया है.

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