रायपुर,
छत्तीसगढ़ की प्रतिभाएं आज विभिन्न खेलों के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य को गौरवान्वित कर रही हैं। राज्य शासन द्वारा खिलाड़ियों को खेल प्रशिक्षण, आधारभूत संरचना तथा प्रोत्साहन राशि सहित आवश्यक संसाधन प्रदान कर हर संभव सहयोग सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे प्रदेश के प्रतिभावान खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन देश एवं विदेश में कर सकें।
महासमुंद जिले के लिए खेल जगत से एक और गर्व की खबर आई है। फॉर्चून फाउंडेशन समाजसेवी संस्था द्वारा संचालित फॉर्चून नेत्रहीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करमापटपर, बागबाहरा खुर्द के पूर्व छात्र सुखदेव ने 7वीं ओपन पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चौंपियनशिप 2025 में स्वर्ण पदक जीतकर पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है। कांतिराव एथलेटिक्स स्टेडियम, बेंगलुरु (कर्नाटक) में 11 से 12 जुलाई तक आयोजित इस चौंपियनशिप में सुखदेव ने 1500 मीटर दौड़ को महज 4.36 मिनट में पूरा कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
गौरतलब है कि नेत्रहीन सुखदेव ने फॉर्चून फाउंडेशन करमापटपर, बागबाहरा खुर्द में रहकर प्रशिक्षक श्री निरंजन साहू के मार्गदर्शन में निरंतर अभ्यास करते हुए यह बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वर्तमान में सुखदेव भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) बेंगलुरु में नियमित अभ्यास कर रहे हैं। इससे पहले भी सुखदेव खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025, नई दिल्ली में 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक तथा 23वीं राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चौंपियनशिप चेन्नई में भी 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। सुखदेव जैसे होनहार पैरा खिलाड़ी प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार खेल एवं खिलाड़ियों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और विशेष रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश के हर खिलाड़ी को उचित मंच और अवसर मिले, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर सकें।
सुखदेव की इस उपलब्धि पर महासमुंद कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह, सीईओ जिला पंचायत श्री एस. आलोक, उप संचालक समाज कल्याण संगीता सिंह, खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी मनोज धृतलहरे, जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे सहित प्रशिक्षक निरंजन साहू एवं पैरा स्पोर्ट्स संघ के पदाधिकारियों ने भी उन्हें बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।
सुखदेव की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि अगर लगन और मेहनत सच्ची हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती और छत्तीसगढ़ की मिट्टी में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। यह उपलब्धि निःसंदेह जिले के अन्य दिव्यांग खिलाड़ियों को भी खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करेगी।