सनातन धर्म में तिथि और शुभ मुहूर्त का बेहद खास महत्व है. बिना तिथि या शुभ मुहूर्त देखे कोई भी मांगलिक कार्य, पूजा-पाठ या हवन इत्यादि करवाना फलदायी नहीं होता है. इसका प्रभाव नकारात्मक भी पड़ सकता है. कुछ दिनों में बसंत पंचमी का त्योहार पूरे देश में मनाया जाएगा. इस दिन माता सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है. माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा अगर शुभ मुहूर्त में की जाए तो विद्या की देवी प्रसन्न होती हैं. जीवन में सकारात्मक असर पड़ता है. घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. आइये देवघर में स्थित प्रसिद्ध बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थपुरोहित सह ज्योतिषाचार्य प्रमोद श्रृंगारी से सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त जानते हैं.
3 फरवरी को सरस्वती पूजा
हर साल बसंत पंचमी का त्योहार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल सरस्वती पूजा की तिथि को लेकर थोड़ी सी असमंजस की स्थिति है. सनातन धर्म में जिसका उदय उसी का अस्त माना गया है. पंचमी तिथि का उदय 3 फरवरी को होने वाला है. उदया तिथि के अनुसार सरस्वती पूजा भी 3 फरवरी को ही मनायी जाएगी. इस दिन सोमवार रेवती नक्षत्र साध्य योग और शुभ योग का निर्माण हो रहा है. जो अति शुभ माना जाता है. इसके साथ ही अमृत योग भी बनने जा रहा है.
जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थपुरोहित ने बताया कि पंचमी तिथि को रेवती नक्षत्र पड़े और दिन सोमवार हो जाए तो इससे अमृत योग बनता है. 3 फरवरी को सूर्योदय से लेकर सुबह 09 बजकर 51मिनट तक अमृत योग रहने वाला है. इस मुहूर्त में पूजा सबसे शुभ रहने वाली है. इस दिन दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 02मिनट तक अभिजीत मुहूर्त भी रहने वाला है. इस मुहूर्त में भी पूजा आराधना कर सकते हैं. इन दोनों में अमृत योग का मुहूर्त सबसे उत्तम माना गया है.