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अवैध रूप से पिंजरे में मछली पकडऩे से प्रवासी पक्षियों को खतरा, उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सचिव से मांगा जवाब

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में प्रवासी पक्षियों की कमी को लेकर चिंता जताते हुए लगाई गई जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में इस पूरे मामले की सुनवाई हुई। धमतरी के एक संस्था धमतरी वाइल्डलाइफ वेलफेयर सोसाइटी ने इस पूरे मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील अदिति सिंघवी ने बताया की धमतरी जिले के गंगरेल बांध से जुड़ा एक भाग आद्र्र भूमि है। सिंचाई विभाग के अधीन अवैध रूप से पिंजरे में मछली पकडऩे का काम किया जा रहा है और यह वन भूमि है। सिंचाई विभाग ने बिना हृह्रष्ट के मछली पकडऩे पर रोक लगा दी। उसके बाद भी, जंगल की ज़मीन पर मछली पकडऩा जारी है। प्रवासी पक्षियों के आने की संख्या गिर गई है पहले पिछले 5 सालों में 5000 प्रवासी पक्षी से अब वह संख्या शून्य होने की स्थिति में है। इस क्षेत्र में अवैध रूप से एक केज कल्चर फिशिंग की जा रही है। अधिवक्ता ने कहा यह प्रवासी पक्षियों का मामला है। प्रवासी पक्षी वहाँ आते हैं और यह एक प्रस्तावित रामसर सम्मेलन स्थल है। वहीं शासन का पक्ष रख रहे अधिवक्ता शशांक ठाकुर ने कहा पिछले सप्ताह के दिन को माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन छत्तीसगढ़ में अभी तक हमारे पास कोई रामसर स्थल नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा यह बात भी कही गई वन विभाग द्वारा तय किया जाने वाला रिकॉर्ड है, जो इस तथ्य से उपजा है कि यह एक जल निकाय है। वहीं पूरे मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर मत्स्य विभाग के सचिव से इस पूरे मामले में व्यक्तिगत शपथ पत्र पेश कर जवाब मांगा है। वहीं अगली सुनवाई 19 फरवरी 2025 को तय की गई है।

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