Homeराजनीतीआंध्र प्रदेश के स्पेशल पैकेज पर भड़की तेलंगाना सरकार, विरोध में उतरे...

आंध्र प्रदेश के स्पेशल पैकेज पर भड़की तेलंगाना सरकार, विरोध में उतरे विपक्षी सांसद

हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने मंगलवार को केंद्रीय बजट को लेकर निराशा जताई और आरोप लगाया कि इसमें तेलंगाना के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी 8 कांग्रेस सांसद इस बजट में तेलंगाना की अनदेखी को लेकर विरोध दर्ज कराएंगे। सीएम ने कहा, हमारे 8 कांग्रेस सांसद निश्चित रूप से अन्य सांसदों के साथ अपना विरोध व्यक्त करेंगे। आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम केवल आंध्र प्रदेश के लिए फंड देने के बारे में नहीं है, बल्कि तेलंगाना के बारे में भी है। विधानसभा में, हम प्रश्नकाल के बाद इस अन्याय पर चर्चा करेंगे। मैं 8 भाजपा सांसदों और एआईएमआईएम सांसदों से अनुरोध करता हूं कि वे 8 कांग्रेस सांसदों के विरोध कार्यक्रम में भाग लें। सभी को राजनीति से ऊपर उठकर राज्य के लिए लड़ना चाहिए। विरोध प्रदर्शन में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन  के सांसद भी भाग ले सकते हैं। सीएम रेड्डी ने आंध्र प्रदेश को बजट में स्पेशल पैकेज दिए जाने पर विरोध जताया। उन्होंने कहा कि आंध्र के साथ तेलंगाना को भी विशेष आवंटन दिया जाना चाहिए था।
इससे पहले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी.रामाराव ने भी केंद्रीय बजट को लेकर निराशा जताते हुए कहा कि इसमें तेलंगाना के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि 48 लाख करोड़ रुपये का बजट होने के बावजूद केवल कुछ राज्यों को इसका लाभ मिला है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्तवर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट पेश किया। नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के तीसरे कार्यकाल का यह पहला केंद्रीय बजट है।
तेलंगाना की 17 लोकसभा सीट में से आठ-आठ पर भाजपा एवं कांग्रेस की जीत का संदर्भ देते हुए रामाराव ने कहा कि लोगों को सोचना होगा कि जब वे दो राष्ट्रीय दलों को 16 सीट देते हैं तो क्या होता है। इस लोकसभा चुनाव में बीआरएस को तेलंगाना में एक भी सीट नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘यह निराशाजनक है कि पूरे बजट भाषण में तेलंगाना का उल्लेख तक नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के बेटे रामा राव ने कहा, ‘‘यहां तक ​​कि मौजूदा मुख्यमंत्री और तेलंगाना के मंत्रियों ने दिल्ली दौरे के दौरान कई अनुरोध किए थे जिन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। एक बार फिर, तेलंगाना को इस केंद्रीय बजट में कुछ भी नहीं मिला है।’’ रामाराव ने कहा कि तेलंगाना के लोगों को आंध्र प्रदेश और बिहार को आवंटित धनराशि पर गौर करना चाहिए जहां संसद की अधिक सीटें हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि तेलंगाना के विकास के लिए ‘‘अपनी राजनीतिक पहचान और ताकत’’ महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना की जनता आठ सांसद होने के बावजूद कोई धन आवंटित नहीं करने का सबक भाजपा सरकार को सिखाएगी।
आंध्र प्रदेश के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे की बढ़ती मांग के बीच, मंगलवार को केंद्रीय बजट में राज्य को उल्लेखनीय आवंटन देने का वादा किया गया, जिसमें राजधानी अमरावती के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये शामिल हैं। आम बजट पेश होने से पहले, मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राष्ट्रीय राजधानी का दो बार दौरा किया था, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उनके समक्ष विभिन्न अनुरोध प्रस्तुत किए।आंध्र प्रदेश के लिए बजट में आवंटन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की तेलुगु देशम पार्टी और अभिनेता पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जनसेना के महत्वपूर्ण समर्थन पर निर्भरता को रेखांकित करता है। तेदेपा के पास 16 लोकसभा सीटें हैं वहीं जनसेना के पास दो सीटें हैं। अमरावती के लिए निर्धारित सहायता से राज्य में तेदेपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार का मनोबल बढ़ने की उम्मीद है। इस सहायता से वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान पांच साल से रुकी हुई राजधानी परियोजना को गति मिलेगी।

बजट में वित्तीय सहायता और पिछड़े जिलों के पैकेज आदि शामिल 


अमरावती के लिए 15,000 करोड़ रुपये के अलावा, बजट में अन्य वादे जैसे पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए वित्तीय सहायता और पिछड़े जिलों के पैकेज आदि शामिल हैं, जिनका जिक्र आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में किया गया है। नायडू ने विधानसभा में बहस के दौरान कहा, ‘‘आज केंद्र ने बजट में 15,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का वादा किया है। उम्मीद है कि फिर से अच्छे दिन आएंगे। अगर अमरावती का काम पूरा हो जाता, तो राज्य के पास 2 से 3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति होती।’’उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि उसने स्पष्ट रूप से आश्वासन दिया है कि वह पोलावरम परियोजना को ‘‘जितनी जल्दी हो सके’’, पूरा करेगी। बीस फरवरी, 2014 को राज्यसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शेष आंध्र प्रदेश राज्य को पांच साल के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा देने का वादा किया था। सिंह ने राज्य के लिए विशेष पैकेज संबंधी एक बयान में पोलावरम परियोजना के तहत सुचारू और पूर्ण पुनर्वास और पुनर्स्थापन की सुविधा देने का भी वादा किया था।

 

क्या है आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम?


आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जिसके तहत आंध्र प्रदेश राज्य का विभाजन कर दो नए राज्यों, तेलंगाना और शेष आंध्र प्रदेश, का गठन किया गया था। यह अधिनियम 30 मई 2014 को प्रभाव में आया। इस अधिनियम के तहत विभाजन की प्रक्रिया और नई राज्य सीमाओं का निर्धारण किया गया। तेलंगाना राज्य का गठन 2 जून 2014 को हुआ और हैदराबाद को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में 10 वर्षों के लिए घोषित किया गया। इसके साथ ही, दोनों राज्यों के बीच संसाधनों, संपत्तियों, और कर्जों का बंटवारा किया गया। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य था आंध्र प्रदेश राज्य के पुनर्गठन के माध्यम से तेलंगाना क्षेत्र के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करना और विकास की गति को बढ़ाना।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हमसे जुड़ें

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe