Homeराज्यछत्तीसगढ़रामभक्तों की सेवा से छत्तीसगढ़ हुआ धन्य : मुख्यमंत्री साय

रामभक्तों की सेवा से छत्तीसगढ़ हुआ धन्य : मुख्यमंत्री साय

रायपुर

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अयोध्या में श्रद्धालुओं की सेवा कर लौटे छत्तीसगढ़ के सभी रामसेवकों का अपने निवास परिसर में स्वागत एवं अभिनंदन किया। श्री साय ने सभी रामभक्त 6 समितियों को शाल श्रीफल और रामलला की धातु की मूर्ति भेंटकर उनको सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने  अयोध्या में श्रद्धालुओं की सेवा कर लौटे प्रभु रामलला दर्शन अभियान समिति के अंतर्गत सभी 6 समितियों के साथ भोजन भी किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी समितियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अयोध्या में प्रभु रामलला के विराजित होने के साथ ही रामभक्तों की 500 सालों की मनोकामना पूर्ण हुई है। यह हमारे लिए बहुत ही गौरव की बात है कि प्रभु श्रीराम का ननिहाल हमारा छत्तीसगढ़ है और हम भांचा के रूप में श्री राम को पूजते हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ के इन 6 समितियों के जज्बे  की सराहना करते हुए कहा कि ये समितियां स्वमेव प्रेरित होकर अयोध्या पहुंची और पूरी सेवाभाव के साथ  वहां दर्शन करने आ रहे लगभग 4 लाख श्रद्धालुओं को पूरे 60 दिनों तक भोजन कराया। यह छत्तीसगढ़ के लिए भी गौरव की बात है।  उन्होंने कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ से अयोध्या में रामभक्तों के लिए चावल, सब्जी और डॉक्टर की टीम भेजी गई थी मैं उन टीमों को भी सराहना करता हूं।  मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि श्री रामलला दर्शन योजना के तहत आस्था स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। इस  ट्रेन के माध्यम से श्रद्धालुगण अयोध्या में प्रभु श्री रामलला के दर्शन के बाद वाराणसी और प्रयागराज का दर्शन कर पुण्य लाभ ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि छत्तीसगढ़ से अब तक 8 आस्था स्पेशल ट्रेनें रवाना हो चुकी है और 11 हजार रामभक्तों ने प्रभु श्री रामलला का दर्शन लाभ लिया है।

इस अवसर पर विधायक और अयोध्या दर्शन समिति के संयोजक श्री धरम लाल कौशिक ने सभी समितियों की सेवाभाव की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए सम्मान की बात है कि सभी 6 समितियों ने पूरी निष्ठा और लगन  के साथ रामभक्तों की सेवा की है। इस दौरान अयोध्या दर्शन समिति के सदस्यगण विधायक श्री संपत लाल अग्रवाल और श्री विरेंद्र श्रीवास्तव के साथ ही श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्री रामलखन पैंकरा एवं श्री ललित माखीजा मौजूद थे।

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